राजसमंद से बड़ी खबर
राजस्थान के राजसमंद जिले के सीमाल गांव में सोमवार सुबह एक लेपर्ड (तेंदुआ) के आबादी क्षेत्र में घुस आने से अफरा-तफरी मच गई। लेपर्ड ने गांव में प्रवेश करते ही 4 ग्रामीणों पर हमला कर दिया। हमले में दो महिलाएं गंभीर रूप से घायल हुईं, जबकि दो पुरुषों को मामूली चोटें आईं।
इस घटना से पूरे गांव में दहशत का माहौल बन गया। ग्रामीणों ने तुरंत वन विभाग को सूचना दी। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर लेपर्ड को पकड़ लिया। लेकिन दुर्भाग्य से रेस्क्यू के कुछ देर बाद ही लेपर्ड की मौत हो गई।
हमले में 4 ग्रामीण घायल
ग्रामीणों के अनुसार सुबह लेपर्ड ने अचानक हमला कर दिया।
- पारी देवी और केसर देवी गंभीर रूप से घायल हुईं।
- मोहनलाल और देवीलाल को भी खरोंचें आईं।
लेपर्ड हमले के बाद हरलाल टेलर के बाड़े में जा घुसा। यहां उसने एक गाय पर हमला करने की भी कोशिश की। भिड़ंत में लेपर्ड खुद भी घायल हो गया।
रेस्क्यू टीम ने किया प्रयास
सूचना मिलने पर बिनोल वन नाका से सुरेश चंद्र खटीक और राजसमंद से रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची। टीम में वन्यजीव प्रेमी पन्नालाल कुमावत, घनश्याम पूर्बिया, वनरक्षक अटल सिंह, महेंद्र सिंह और शूटर सुरेंद्र सिंह शामिल थे।
रेस्क्यू टीम ने जाल डालकर लेपर्ड को सुरक्षित पकड़ लिया। इस दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण भी मौके पर मौजूद थे। हालांकि घायल होने के कारण लेपर्ड की हालत नाजुक थी।
रेस्क्यू के बाद मौत
डीएफओ कस्तूरी प्रशांत सूले ने बताया कि घायल लेपर्ड को उदयपुर बायोलॉजी पार्क भेजने की तैयारी की जा रही थी। लेकिन वहां ले जाने से पहले ही उसने दम तोड़ दिया।
वन विभाग ने जानकारी दी कि मादा लेपर्ड की उम्र 4 से 5 साल के बीच थी।
पोस्टमॉर्टम से होगी असली वजह स्पष्ट
वन विभाग के नियमानुसार, लेपर्ड का पोस्टमॉर्टम तीन डॉक्टरों की टीम द्वारा किया जाएगा। इसके बाद ही मौत के कारण स्पष्ट हो पाएंगे। संभावना जताई जा रही है कि रेस्क्यू के दौरान लगी चोटें और थकान से उसकी मौत हुई।
बढ़ रहा मानव-वन्यजीव संघर्ष
राजस्थान के उदयपुर, राजसमंद और चित्तौड़गढ़ जिलों में पिछले कुछ सालों से मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ता जा रहा है।
- जंगलों के सिकुड़ने और गांवों के फैलाव के कारण वन्यजीव अक्सर आबादी क्षेत्रों में घुस आते हैं।
- बारिश और गर्मी के मौसम में भोजन और पानी की तलाश में लेपर्ड, भालू और सियार गांवों की ओर रुख करते हैं।
इस तरह की घटनाएं इंसानों और जानवरों दोनों के लिए खतरनाक साबित होती हैं।
ग्रामीणों में दहशत और गुस्सा
घटना के बाद सीमाल गांव और आसपास के क्षेत्रों में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों ने कहा कि यदि वन विभाग की टीम समय पर नहीं पहुंचती तो स्थिति और भी भयावह हो सकती थी। साथ ही कई ग्रामीणों ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि गांवों में बार-बार वन्यजीवों की एंट्री रोकने के लिए ठोस इंतजाम नहीं किए जाते।
वन विभाग की अपील
वन विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि यदि कोई वन्यजीव गांव या खेतों में घुस जाए तो तुरंत सूचना दें।
- खुद जानवर पर हमला न करें।
- सुरक्षित दूरी बनाकर रखें।
- रेस्क्यू टीम को सहयोग दें।
ऐसे मामलों में घबराने की बजाय सतर्क रहना सबसे बेहतर उपाय है।
निष्कर्ष
राजसमंद जिले की यह घटना मानव और वन्यजीव के बीच टकराव की गंभीर स्थिति को उजागर करती है। जहां इंसानों की सुरक्षा दांव पर है, वहीं वन्यजीव भी घायल होकर अपनी जान गंवा रहे हैं। जरूरत है कि ऐसे क्षेत्रों में वन्यजीव सुरक्षा योजनाओं और त्वरित रेस्क्यू मैकेनिज्म को और मजबूत किया जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

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