मन्दसौर

मित्रता की मिसाल: दोस्त की अंतिम इच्छा पर शव यात्रा में नाचा अंबालाल, पूरी की 20 साल पुरानी दोस्ती का वादा

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मंदसौर (मध्यप्रदेश) – कहते हैं सच्चा दोस्त वही है, जो जीवन के हर मोड़ पर साथ खड़ा रहे।
मंदसौर जिले के जवासिया गांव में ऐसी ही दोस्ती का उदाहरण देखने को मिला, जब अंबालाल प्रजापत ने अपने दिवंगत मित्र सोहनलाल जैन की अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए, उनकी शव यात्रा में ढोल-नगाड़ों के साथ नृत्य किया।
यह सिर्फ एक नृत्य नहीं था, बल्कि 20 साल पुरानी दोस्ती और वादे की गवाही था।


📜 4 साल पहले लिखी थी भावुक चिट्ठी

साल 2021 में कैंसर से जूझ रहे सोहनलाल ने अपने मित्र अंबालाल को एक पत्र लिखकर वादा लिया था –

“मेरी अंतिम यात्रा में रोना-धोना मत करना। बैंड-बाजे के साथ नाचते हुए विदा करना।”

इस पत्र में उन्होंने अपने मित्र से माफी भी मांगी और आखिरी बार “राम-राम” कहा।
सोहनलाल का मानना था कि मृत्यु से डरना नहीं चाहिए और विदाई भी खुशी से होनी चाहिए।


☕ चाय से शुरू हुई थी दोस्ती

करीब 20 साल पहले सिहोर गांव से जवासिया आए सोहनलाल ने यहां दुकान खोली।
रोज अंबालाल उन्हें घर की चाय पिलाते थे और वहीं से दोस्ती शुरू हुई।
यह रिश्ता सत्संग, प्रभात फेरी और आध्यात्मिक चर्चाओं में गहराता चला गया।
अंबालाल के लिए सोहनलाल सिर्फ दोस्त नहीं, बल्कि गुरु समान बन गए।


🕯️ मृत्यु के दिन भी मिले थे दोनों

30 जुलाई 2025 को, 71 वर्षीय सोहनलाल की कैंसर से मृत्यु हो गई।
लेकिन उसी सुबह, खेत पर जाने से पहले दोनों ने साथ में चाय पी और बातें की थीं।
जब खबर आई, तो अंबालाल का दिल टूट गया, लेकिन उन्होंने अपने मित्र की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए हिम्मत दिखाई।


💃 अंतिम यात्रा में नाचता दोस्त

गांव की गलियों में बैंड-बाजे बज रहे थे, और अंबालाल अपनी मित्र की अर्थी के आगे नृत्य कर रहे थे।
कई ग्रामीणों और रिश्तेदारों ने रोकने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कहा –

“यह सिर्फ नृत्य नहीं, यह मेरे दोस्त के लिए किया गया वादा है।”


👨‍👩‍👦 परिवार और गांव में चर्चा

अंबालाल के बेटे राकेश ने बताया कि पिताजी को दोस्त के जाने का गहरा गम है, लेकिन वह उनके गुरु और मित्र की इच्छा पूरी करने पर गर्व महसूस करते हैं।
गांव में यह घटना मित्रता की मिसाल के रूप में चर्चा का विषय बनी हुई है।


📌 यह कहानी क्यों खास है?

  • यह दोस्ती कृष्ण-सुदामा जैसी मानी जा रही है।
  • सोहनलाल ने मृत्यु से पहले दोस्त को खुशियों के साथ विदाई देने का वादा लिया था।
  • अंबालाल ने दुनिया की परवाह किए बिना वादा निभाया।
  • यह घटना आज के समय में सच्ची मित्रता का अनमोल संदेश देती है।

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