आगर मालवा

आगर मालवा में बछड़े की मौत के बाद गौभक्तों ने किया चक्काजाम

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आगर मालवा से बड़ी खबर

मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले में सोमवार रात शिवाजी चौराहे पर एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई। अज्ञात वाहन की टक्कर से एक बछड़े की मौत हो गई, जिससे इलाके में तनाव फैल गया।

घटना से नाराज गौभक्तों और स्थानीय ग्रामीणों ने मृत बछड़े को सड़क पर रखकर चक्काजाम कर दिया। इससे सड़क पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं और यातायात पूरी तरह प्रभावित हुआ।


चक्काजाम और प्रदर्शन

  • प्रदर्शनकारी लगभग एक घंटे तक चक्काजाम और नारेबाजी करते रहे।
  • उनका मुख्य विरोध था कि जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी मौके पर नहीं थे।
  • पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने की कई कोशिशें की, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने पीछे नहीं हटी।

तहसीलदार ने किया हस्तक्षेप

तहसीलदार प्रियांक श्रीवास्तव मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों से बातचीत की। उन्होंने दो महत्वपूर्ण आश्वासन दिए:

  1. चरनोई भूमि को जल्द मुक्त कराया जाएगा।
  2. नगर की सड़कों पर घूम रहे गोवंश को गौशाला भेजा जाएगा।

इन आश्वासनों के बाद प्रदर्शनकारी शांत हुए और चक्काजाम समाप्त कर दिया गया।


गौभक्तों की मांगें

गौसेवक अनिल जायसवाल और लोकेश गुप्ता ने बताया कि वे पिछले तीन महीने से प्रशासन से इन मांगों को लेकर गुहार लगा रहे थे।

  • चरनोई भूमि पर अतिक्रमण को हटाने की मांग।
  • नगर क्षेत्र में घूम रहे गोवंश को सुरक्षित स्थान पर ले जाने की मांग।

उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई थी, जिससे नाराजगी बढ़ी।


प्रशासन की भूमिका

तहसीलदार ने मौके पर पहुंचकर शांतिपूर्ण समाधान किया।

  • उन्होंने गोवंश को गौशाला भेजने और चरनोई भूमि को मुक्त कराने का आश्वासन दिया।
  • इसके साथ ही वाहनों और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई।

पुलिस ने भी स्थिति नियंत्रण में रखते हुए यातायात को पुनः सामान्य कराया।


ग्रामीणों और शहरवासियों की प्रतिक्रिया

स्थानीय लोग और गौभक्तों ने कहा कि यदि प्रशासन समय पर कार्रवाई करता, तो यह चक्काजाम और तनाव पैदा नहीं होता।

  • उनका कहना है कि गौवंश की सुरक्षा और चरनोई भूमि की व्यवस्था पर सतत निगरानी होनी चाहिए।
  • प्रशासन को नियमित निरीक्षण और समाधान के लिए सतर्क रहना चाहिए।

निष्कर्ष

आगर मालवा की यह घटना दर्शाती है कि गोवंश की सुरक्षा और प्रशासनिक जवाबदेही दोनों ही नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

  • सड़क पर घूमते पशुओं से दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
  • प्रशासन और स्थानीय समाज के बीच बेहतर संवाद और समय पर कार्रवाई जरूरी है।
  • इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि गौभक्तों और स्थानीय लोगों की मांगों पर त्वरित कार्रवाई न होने पर सार्वजनिक आंदोलन होने की संभावना रहती है।

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