मन्दसौर

🌱 मंदसौर के किसान की अनोखी पहल – वर्मी नहीं, सरल कंपोस्ट और दसपर्णी अर्क से जैविक खेती 🌿

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आज के समय में जब अधिकांश किसान रसायनिक खाद और दवाइयों पर निर्भर हैं, तब मंदसौर जिले के देहरी गांव के किसान बालकृष्ण पाटीदार ने जैविक खेती की मिसाल पेश की है। उन्होंने अपनी 42 बीघा भूमि को रसायन मुक्त कर दिया है और अब किसान उनसे यह विधियां सीखने आते हैं।


🚜 वर्मी कंपोस्ट नहीं, सरल कंपोस्ट से जैविक खेती

किसान बालकृष्ण ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट बनाने की प्रक्रिया थोड़ी जटिल होती है और इसमें बार-बार पानी देना पड़ता है। इसीलिए उन्होंने सरल कंपोस्ट विधि अपनाई।

  • इस खाद को बनाने में 30 किलो गुड़, 30 किलो छाछ और देशी गाय का गोबर उपयोग किया जाता है।
  • इसमें बार-बार पानी देने की जरूरत नहीं होती।
  • इसके साथ ही वे एनएरोबिक कंपोस्ट बैग का उपयोग करके भी खाद तैयार करते हैं।

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🪴 दसपर्णी अर्क – कीटों के खिलाफ प्राकृतिक टॉनिक

किसान बालकृष्ण का एक और महत्वपूर्ण प्रयोग है दसपर्णी अर्क। इसमें 10 तरह की पत्तियों और कुछ अन्य प्राकृतिक पदार्थों का उपयोग होता है, जैसे:

  • नीम, सीताफल, अमरूद, कुशली, आंकड़ा, करंज, कनेर, काला धतूरा
  • पपीता, अदरक, बेल, तंबाकू
  • गोमूत्र

👉 इसका छिड़काव करने से फसलों पर लगने वाले रसचूसक कीट और इल्लियां खत्म हो जाती हैं
👉 इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता और यह पूरी तरह से सुरक्षित है।


🌾 जीवामृत और देशी टॉनिक का कमाल

  • बालकृष्ण जीवामृत का भी उपयोग करते हैं, जो पौधों को आवश्यक पोषण देता है।
  • उनकी विधियों से सोयाबीन जैसी फसलों में पीलापन की समस्या भी दूर हो जाती है
  • इन प्रयोगों से रसायनिक दवाओं और खाद का खर्च शून्य हो गया है।

👨‍🌾 किसानों के लिए प्रेरणा

बालकृष्ण पाटीदार ने अपने खेतों में कुछ पौधे भी घर पर उगाए हैं ताकि उनकी पत्तियों का इस्तेमाल खाद और अर्क बनाने में किया जा सके।
अब जिले भर के किसान उनसे प्रशिक्षण लेने आते हैं और इन विधियों को अपनाने लगे हैं।


📌 मुख्य बिंदु

  • देहरी गांव के किसान बालकृष्ण ने 42 बीघा भूमि को रसायन मुक्त किया।
  • वर्मी नहीं, सरल कंपोस्ट विधि से खाद तैयार कर रहे हैं।
  • दसपर्णी अर्क और जीवामृत से कीट नियंत्रण और पोषण की व्यवस्था।
  • कीटनाशक और खाद पर खर्च शून्य।
  • आसपास के किसान उनसे प्रेरणा ले रहे हैं।

🌟 निष्कर्ष

बालकृष्ण पाटीदार की पहल यह दर्शाती है कि अगर सही तकनीक और देशी संसाधनों का उपयोग किया जाए तो खेती को न केवल रसायन मुक्त और टिकाऊ बनाया जा सकता है, बल्कि किसानों का खर्च भी बहुत हद तक कम किया जा सकता है। उनकी यह विधि आने वाले समय में मंदसौर ही नहीं, पूरे देश के किसानों के लिए मार्गदर्शक बन सकती है।


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